“कोई भी एक अच्छा नागरिक पैदा नहीं होता है; कोई भी राष्ट्र लोकतंत्र नहीं होता है। बल्कि, दोनों ऐसी प्रक्रियाएँ हैं जो जीवन भर चलती रहती हैं। इसके लिए लोगों को , विशेष रूप से युवा को शुरू से ही शामिल होना चाहिए। एक ऐसा समाज जो अपनी युवा पीढ़ी से खुद को काट लेता है, अपनी जीवन रेखा को भी काटकर अलग कर देता है ; ऐसे समाज के मर जाने पर उसकी निंदा की जाती है। "
- कॉफी अन्नान
आज की युवा ही कल के भविष्य को एक नए सांचे में ढालती है। ये वे हैं जिन्हें आज की नीतियों के परिणाम को भुगतना है इसीलिए यह उन्हें निरुपाधिक बनाता है लेकिन यह भी ज़रूरी है कि एक सुशासन के लिए व अपने शब्दों को आवाज़ देने के लिए उन शब्दों को हमें कुशलतापूर्वक सजाना होगा अर्थात महत्वपूर्ण सोच, विशलेषणात्मक स्वभाव और अनुसंधान क्षमताओं द्वारा उन मशाल पदाधिकारियों के विवेक को बढाने के लिए एक बेहतर भविष्य की कल्पना करनी होगी। और यह ज़िम्मेदारी शिक्षा संस्थानों के कंधों पर आ जाती है और यह एक महामुहिम है जो युवाओं के पंखों को विकसित कर सकती है।
मिरांडा हाउस ने कोई कसर नहीं छोड़ी अपने लक्ष्य की तैयारी कर रही महिलाओं को एक नेता के रूप में उभारने में और साथ ही नए विचारों और क्षमता में अंतर बनाए रखने में। यह कहना प्रासांगिक होगा कि मिरांडा हाउस एक संस्था के रूप में अपनी प्रतिभाशाली महिला युवा छात्रों और साथ ही संकाय द्वारा राष्ट्र के निर्माण में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है। मिरांडा हाउस विशाल रूप से समृद्ध है यहाँ के अत्यंत समर्पित व सक्षम प्रोफेसरों और शिक्षकों की चिंताशील संकाय से , जिनका उद्देश्य मुख्य रूप से युवा लड़कियों को आकार देकर उन्हें आधुनिक भारत की विकसित, निपुण और सशक्त महिलाऐं बनाना है।अपने में निरंतर उत्तेजक और विलक्षण विरासत के साथ,
हमारे प्रधानाचार्य ने , "नीति केंद्र और लिंग लैब ( Policy Centre and Gender Lab) " का उद्घाटन किया,
जिसमें एक पथरीले सान के रूप में कार्य कर युवा नवोदित शोधकर्ताओं और दार्शनिकों के कौशल को निरन्तर रूप से निखारा जा सके।
हम कौन है?
हम सेंटर फॉर पॉलिसी एंड जेंडर रिसर्च लैब, मिरांडा हाउस हैं। हम "आप" हैं जो एक प्रभावशाली और ज्ञानवान "हम" बनने की प्रक्रिया में हैं। मिरांडा हाउस की उत्तेजक और विलक्षण विरासत को जारी रखते हुए ,
संस्थान - पॉलिसी सेंटर और जेंडर लैब - की शुरुआत, एक बेहद नए अवसर के द्वार को खोलता है। लैब उन लोगों के लिए एक मुख्य अवसर है, जो स्वैच्छिक रूप से बहुक्षेत्रीय अनुसंधान के क्षेत्र का पता लगाने का इरादा रखते हैं और समकालीन पृष्ठभूमि के संदर्भ में रणनीति योजना के बारे में सीखना चाहते हैं। हम संकाय सदस्यों, शोधकर्ताओं और संबंधित नागरिकों के रूप में समय की आवश्यकता का जवाब देना चाहते हैं और इष्टतम तर्कसंगत और विकास उन्मुख सार्वजनिक नीति के लिए समाधान का हिस्सा बनना चाहते हैं। केंद्र एक रचनात्मक स्थान होगा जहां छात्र,
संकाय और अन्य सभी लोग, ज्ञान और कौशल को विकसित कर सकते हैं और समाज के लिए नीति बनाने के लिए अधिक खुली,
चर्चा उन्मुख, और अनुसंधान आधारित जानकारी-संचालित कर सकते हैं।
हमें कौन प्ररित करता है?
"ज्ञान एक बहते पानी के प्रवाह की तरह है ,जहां आप उसमें से पानी पीना छोड़ देंगे, वहां आपकी प्यास भी बुझ जाएगी।" और मिरांडा हाउस कभी भी नहीं रुकेगा। मिरांडा हाउस धन्य है कि यहाँ एक अत्यंत समर्पित,सक्षम और चिंताशील संकाय के प्रोफेसर और शिक्षक उपस्थित है जिनका उद्देश्य प्रवीण रूप से युवा लड़कियों को आकार देकर उन्हें आधुनिक भारत की विकसित, निपुण और सशक्त महिलाऐं बनाना है। लैब एक बोर्ड पर आधारित है जो लैंगिक अध्ययन और समाज की समकालीन बुराइयों के क्षेत्र में अनुसंधानिक गतिविधियों के लिए एक बड़ी महत्वपूर्ण संरचना प्रदान करता है । हमारा पहला मक़सद प्रभावशाली समाधान लाना है।
हम क्या करते हैं?
हम असहमति और चर्चा के एक मंच से कहीं अधिक हैं। हम एक साथ सीखते हैं। हम सिखाते हैं, सद्भाव से। हम बढ़ते हैं, असीम रूप से। हम प्रेरित करते हैं, रोज़। हम एक दूसरे का निर्माण करते हैं। हम छत और दीवारों को चकनाचूर कर एक आज़ादी देते हैं। हम कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता से परिपूर्ण हैं। हम एक ऐसा पैकेज हैं जो जीवन भर के लिए है और सबसे ज़रूरी ' मुफ्त’ हैं। हमने रिसर्च लैब बनाने के लिए जुड़वा तख्तों के रूप में पॉलिसि एंड जेंडर का ही क्यों चयन किया ? वो इसलिए क्योंकि इन दोनों को हमारे सामाजिक और शैक्षणिक ढांचों द्वारा विशेष अनिवार्यता प्रदान की गई है। कोई भी सामाजिक संरचना , लिंग आयामों के प्रवेश से रहित नहीं है जो समाज की तफ़्तीश के लिए एक उत्कृष्ट लेंस के रूप में काम करते हैं। सार्वजनिक नीतियां एक कार्रवाई के रूप में कार्य करती हैं जो किसी दिए गए क्षेत्र में संबंधित कार्यों की एक श्रृंखला का मार्गदर्शन करती हैं। ये एक समस्या को निपटाते है लेकिन बहुत सी उलझी हुई और दीर्घकालीन समस्याओं से समझौता भी करते हैं।
हम ज़रूरत से कहीं अधिक हैं, हम समय की मांग हैं ।
सार्वजनिक नीतियाँ बहुत ज़रूरी हैं समाज की हर क्षेत्र की परेशानियों जैसे गरीबी तथा बहिष्कार और हाशिये के अन्य मुद्दों को संबोधित करने के लिए, दूसरा,
जहां बाज़ार विफल हो जाता है अर्थात जहां समाज को सामूहिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है , जहां सार्वजनिक वस्तुओं के उत्पादन की आवश्यकता होती है ,वहां सार्वजनिक नीतियाँ बहुत ज़रूरी हो जाती हैं। अगर इस तरह के मुद्दों को लक्षित करने वाली सार्वजनिक नीतियाँ नियमित रूप से विफल होती हैं ,
तो दुनिया मुसीबत में है और हम उचित रूप से यही ठीक करते हैं। हमारी वर्तमान अनुसंधान की रणनीति और काम का उद्देश्य है
" महिलाओं पर लोकडाउन का प्रभाव
" और इससे सम्बन्धित विशलेषणातमक आलोचना को विकसित करना। इस कोविड
19 के समय में लिंग को समझने के लिए विभिन्न वेबिनार सफलतापूर्वक आयोजित किये गए हैं, कुछ वेबिनार गोथेनबर्ग यूनिवर्सिटी के सहयोग के साथ भी आयोजित किये गए ।
हमारा लक्ष्य क्या है?
हमारी लैब अंत:विषय विश्लेषण और सोच को प्रोत्साहित और बढ़ावा देती है ताकि समग्र और चौतरफा शोध मॉडल प्रदान कर हम समाज के अभावों को पूरा कर सकें। यह नयी शोध क्रियाओं की भी शुरूआत करती है और यह समाजिक विज्ञान से संबंधित शोध क्रियाओं को समेटने का काम भी करती है। लैब, शोध क्रियाओं और उससे संबंधित कौशल में शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करना चाहती है , खासकर पूर्व स्नातक छात्र /छात्राओं और युवा विद्वानों के लिए जिसके चलते वह नौसिखियों को शिक्षा की सीमा और ज्ञान की ताकत समझाने में मदद करती है।यह शोध कार्यप्रणाली के लिए तकनीक और कूटनीतियां लाई व छात्राओं/छात्र को बहुत सारे शिक्षा संबंधित पेशेवरों से अवगत कराया ताकि उनको विषय की संपूर्ण समझ मिल सके। कौशल विकास संबंधित कार्यशालाओं ने नये चरण में जाने में मदद की। बहु हितधारक अनुसंधान के लिए ना सिर्फ तकनीकी और समाजिक ज्ञान चाहिए बल्कि नेतृत्व,सरलीकरण कौशल,साझेदारी का प्रबंधन करने की क्षमता, ज्ञान और शोध का उपयोग और प्रसार करना भी आना चाहिए.अत: ,हमारे सेंटर ने अलग -अलग संस्थान ,संगठन , विशेषज्ञों के नेटवर्क द्वारा मल्टी चैनल फ्रेमवर्क स्थापित किया जिसके द्वारा हम विविध विद्या पर ध्यान दें सकें।
हम किसके साथ कार्य करते हैं?
युनिवर्सिटी ऑफ़ गोथेनबर्ग, यूनिवर्सिटी ऑफ़ बर्मिंघम ,युनिवर्सिटी अॉफ़ ग्येल्फ़ और युनिवर्सिटी अॉफ़ अॉक्सफोडऺ के साथ कार्यशालाओं का आयोजन और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग के साथ लैब ने एक जगह बनाई है जहाँ नीतिगत मुद्दे एवं मामलों को आखिर में चिंतन कर नव परिवर्तन लाया जा सके। 'स्त्री शक्त' और 'ऐक्शन एड' के साथ सहयोग से उनके विचार और दृष्टि आत्मसात्करण ने कई विचारधाराओं और शोध संभावनाओं को स्थापित किया है। यह आशा करते हुए, लैब 'हर वल्र्ड' के साथ सहकार्यता के लिए मेहनत कर रही है। सारे कार्यक्रम और सेमिनार अच्छे से आयोजित किए गए हैं।हम कैसे जानते हैं? स्मरण कीजिये, हम आप हैं और आप हम हैं। इसी से हम जानते हैं।हम यह प्रवीणता और उपलब्धि की यात्रा आपके साथ ही तय करेंगें।
इसमें आपके लिए क्या है?
यह सेन्टर,
सार्वजनिक और निजी क्षेत्र भागीदारों के साथ कार्य करेगा। नम्य रूप और प्रयोगात्मक दृष्टिकोण से, शोध और क्रिया को जोड़कर इसके माध्यम से छात्र/ छात्राओं को फ़ायदा प्राप्त होगा।हम इन धाराओं पर अपने कॉलेज में सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च स्थापित करने के लिए उत्सुक हैं और यह हमारी यूनिवर्सिटी में पहला कदम है जिसमें हम अपनी उन युवा छात्राओं को शामिल करेंगे जो नेता हैं, जो खुद से पब्लिक पॉलिसीज की खोज, डिज़ाइन,और मूल्यांकन कर सकती हैं। यह एक पहल है शिक्षा की सीमाओं को बढ़ाने की, जहाँ कोई सीमाएँ ना हो। 'आप' हमारी मदद कर सकते हैं और हम आपके विकास में सहायता करेंगें।
हमारा अब तक का सफर?
पॉलिसी सेंटर ऐंड जेंडर लैब ने शोध कार्यप्रणाली पर अन्वेषण श्रंखला,
04 फरवरी 2020 को डॉ. जि़ल स्टीन्स के द्वारा ,लिंग एवं लैंगिकता के मुद्दे की प्रसिद्ध शोधकर्ता एवं यूनिवर्सिटी अॉफ़ बर्मिंघम में अंतरराष्ट्रीय संबंध सिद्धांत की सीनियर लेक्चरर से शुरुआत कर छात्राओं को शोध कौशल का वादा करते हुए यह कठिन कार्य का उद्घाटन किया ।यूनिवर्सिटी ऑफ़ ग्वल्फ की डॉ. शारदा और मिरान्डा हाउस के फैकल्टी मेंम्बर ,डॉ आशुतोष झा और डॉ होंग ने लैक्चर श्रृंखला को आगे बढ़ाया । इस दौरान,
हमने अपना वर्चस्व बढ़ाया जब हमने दिल्ली टाइम्स के साथ सहकार्यता कर 'एग्ज़िस्टेन्स विथ डिगनिटी इक्वल्स टू इम्पावरमेन्ट ' विषय पर तापसी पन्नू के साथ अधिवेशन आयोजित किया और अंतरराष्ट्रीय
महिला दिवस के पर्व पर 'स्त्रीत्व पहलू की विविधता' पर नुक्कड़ नाटक का भी आयोजन किया।
हमारी क्या उपलब्धियां हैं?
कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन की जंजीरें हमारी मेहनत को रोकने में नाकाम रहीं हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ गोथनबर्ग,
स्वीडन, द बड फाउंडेशन, स्कूल ऑफ गवर्नमेंट एंड इन्टरनैशनल रिलेशन्स एंड ग्रीफीथ एशिया इन्सटीट्यूट, स्कूल ऑफ शोशल साइन्सेज एट यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद, दिल्ली स्टेट लीगल सर्विस अथौरिटी, जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड सिनर्जी लीड एंड दिल्ली मैनेजमेंट एसोसिएशन की सहकार्यता के साथ वर्कशॉप एवं कार्यक्रम कराए गए। हमारे छात्र "औरतों पर लॉकडाउन का प्रभाव" पर शोध कर आगे बढ़ रही हैं एवं हमारी मेहनत व शोध की ईटीवी मीडिया, द हिंदुस्तान टाइम्स एवं नवभारत टाइम्स द्वारा भी सराहना की गई।
WRITTEN BY HAJRA, SHIKHA AND POOJA
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